Checking your browser...
Touch the screen or click to continue...
Checking your browser...

Mahatma gandhi ka jivan parichay

महात्मा गांधी (अंग्रेजी: Mahatma Gandhi) भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रणी नेता व एक वकील थे। उन्हें भारत के राष्ट्रपिता भी कहा जाता है। उनके जन्म दिवस 2 अक्टूबर को प्रतिवर्ष महात्मा गांधी जयंती मनाई जाती है। 

गांधी जी ने अपने जीवन में “अहिंसा परमो धर्म” मंत्र को बहुत गहनता से उतारा। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अहिंसा व शांतिपूर्वक आंदोलन किए। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रेसिडेंट भी रहे थे। देश को आजादी दिलाने के लिए उन्होंने अथक प्रयास किए।

महात्मा गांधी का परिचय (Introduction to Mahatma Gandhi)

नाम (Name)महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi)
वास्तविक नाम (Real name)मोहनदास करमचंद गांधी
जन्म (Birth)02 अक्टूबर 1869, पोरबंदर, ब्रिटिश भारत
माता (Mother)पुतलीबाई गांधी
पिता (Father)करमचंद गांधी
भाई (Brother)लक्ष्मीदास, करसनदास
बहिन (Sister)रलिअत बहन (Raliatbehn)
पत्नी (Wife)कस्तूरबा गांधी
पुत्र (Sons)हरिलाल, मणिलाल, रामदास, शांतिलाल
पुत्री (Daughter)नहीं
शिक्षा (Education)यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन (1888-1891)
पुस्तकें (Books)हिंद स्वराज
रचनाएं (Compositions)सत्य के साथ मेरे प्रयोग
राष्ट्रीयता (Nationality)भारतीय
पद (Designation)भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 46वें प्रेसिडेंट, स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेता
धर्म (Religion)हिन्दू
प्रसिद्धि का कारण (Reason of Fame)भारत के स्वतंत्रता अभियान के नेतृत्वकर्ता
मृत्यु (Death)30 जनवरी 1948, नई दिल्ली, भारत
मृत्यु का कारण (Reason of death)हत्या
उम्र (Age)78 वर्ष

मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा गांधी के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को ब्रिटिश भारत के गुजरात प्रांत में एक हिंदू परिवार में हुआ था। उनका परिवार बनिया था जो पोरबंदर में रहा करता था। मोहनदास के पिता का नाम करमचंद गांधी तथा माता का नाम पुतलीबाई गांधी था। 

मोहनदास के पिता करमचंद एक दीवान थे जो पोरबंदर राज्य में एक मुख्यमंत्री का कार्य करते थे। माता पुतलीबाई एक धार्मिक स्त्री थी। ‌

मोहनदास अपने भाइयों व बहन से सबसे छोटे थे। उनके भाई लक्ष्मीदास तथा करसनदास थे तथा उनकी बहन रलिअत बहन (Raliatbehn) थी। 

महात्मा गांधी के 4 बेटे थे परंतु उनके कोई बेटी नहीं थी। उनके सबसे बड़े बेटे का नाम हरिलाल था। जब हरिलाल का जन्म हुआ था तब महात्मा गांधी 18 वर्ष व कस्तूरबा 19 वर्ष की थी। यह उनकी पहली जीवित संतान थी। उनके अन्य बेटे मणिलाल, रामदास, तथा देवदास थे।

वे जमनालाल बजाज को शादी काका कहकर पुकारते थे।

महात्मा गांधी का विवाह (Marriage of Mahatma Gandhi)

13 साल की उम्र में मोहनदास  का विवाह 14 वर्षीय कस्तूरबा के साथ करवा दिया गया। विवाह से पहले कस्तूरबा का नाम कस्तूरबाई मक्खन जी कपाड़िया था। परंतु, तत्कालीन नीति नियमों के अनुसार, विवाह के बाद महिला के नाम का अंतिम शब्द “बाई” ना रहकर “बा” बन जाता था। इसलिए कस्तूरबाई का नाम कस्तूरबा हो गया।

महात्मा गांधी ने अपने भाषण में बताया था कि 13 वर्ष की उम्र में उन्हें पता भी नहीं था कि शादी क्या होती है। उनके लिए केवल नये कपड़े पहनना व मिठाइयां खाना ही शादी का मतलब था। उस समय में उनके बड़े भाई व चचेरे भाइयों की भी शादी हो चुकी थी।

इस पूरे कार्यक्रम में मोहनदास (Mahatma Gandhi) की 1 साल की पढ़ाई खराब हुई। कार्यक्रम के सफल होने के बाद फिर से उन्हें स्कूल भेजा गया।

महात्मा गांधी की शिक्षा (Education of Mahatma Gandhi)

9 साल की उम्र में महात्मा गांधी ने राजकोट के एक स्कूल में प्रवेश लिया जो उनके घर के नजदीक था। 11 साल की उम्र में उन्होंने राजकोट के एल्फ्रेड हाई स्कूल में एडमिशन लिया। वह प्राय एकांत में रहने वाले इंसान थे। उनके कोई साथी-संगी नहीं हुआ करते थे, केवल पुस्तकें और स्कूल में पढ़ाए हुए पाठ ही उनके दोस्त थे। 

नवंबर 1887 में 18 साल के गांधीजी अहमदाबाद के हाई स्कूल से ग्रेजुएट हुए। जनवरी 1888 में वह भावनगर राज्य के शयामलदास कॉलेज में दाखिल हुए और उसके बाद वो उच्च शिक्षा के लिए लंदन (इंग्लैंड) के यूनिवर्सिटी कॉलेज में चले गए।

लंदन में गांधी जी ने 3 साल लॉ (Law) की पढ़ाई की। लंदन जाने के लिए गांधी जी के परिवार के पास पैसे नहीं थे। उनके भाई लक्ष्मीदास एक वकील थे जिन्होंने उनके लंदन की पढ़ाई के प्लान को सफल बनाया। 

हालांकि, गांधी जी की माता पुतलीबाई व उनकी पत्नी कस्तूरबा ने उनको जाने से मना किया। परंतु गांधीजी जाना चाहते थे और उन्होंने शपथ ली कि वह शराब, मांस, औरत इत्यादि से दूर रहेंगे।

गांधी जी पहले शंकालू व कम आत्मविश्वास वाले विद्यार्थी थे और लंदन जाने तक वे वैसे ही थे। परंतु, वहां पर लॉ की पढ़ाई करने व उसका अभ्यास करने से उनकी शर्मिंदगी खत्म हो गई।

22 साल की उम्र में गांधीजी ने 1891 में लंदन छोड़ दिया और भारत आ गए। भारत आने के बाद उन्हें पता चला कि उनकी मां जीवित नहीं है।

असहयोग आंदोलन (Non-cooperation movement)

महात्मा गांधी ने अपनी पुस्तक हिंद स्वराज में यह घोषणा की कि ब्रिटिश शासन सिर्फ भारतीयों के सहयोग के कारण टिका हुआ है। अगर सभी लोग उनका असहयोग करना शुरू कर देंगे तो ब्रिटिश शासन अपने आप खत्म हो जाएगा और स्वराज आ जाएगा।

फरवरी 1919 में ब्रिटिश सरकार ने रोलेट एक्ट पारित किया। इस एक्ट के लिए गांधीजी ने यह अपील की कि वे इस एक्ट को लागू ना करें। अगर वे ऐसा करते हैं तो वह सभी भारतीयों से कहेंगे कि वे इस आंदोलन में शामिल हो जाये।

13 अप्रैल 1919 को जनरल डायर ने जलियांवाला बाग में एकत्रित हुई भीड़ पर गोलियां चला कर निर्दोष लोगों की हत्या कर दी। जिसकी वजह से असहयोग आंदोलन उठने की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ गई। पूरे देश में इस हत्याकांड की वजह से गुस्से की आग फैल चुकी थी।

गांधी जी के द्वारा शुरू किया गया असहयोग आंदोलन का मुख्य उद्देश्य विदेशी वस्तुओं व चीजों का बहिष्कार करना व स्वदेशी नीति को अपनाना था। गांधी जी ने हर एक इंसान को, चाहे वह अमीर हो या गरीब, खादी बनाने के लिए व उपयोग में लाने के लिए प्रेरित किया।

10 मार्च 1922 को गांधी जी (Mahatma Gandhi) को इस असहयोग आंदोलन की शुरुआत करने की वजह से पकड़ लिया गया और उन्हें जेल में डाल दिया गया इसके लिए उन्हें 6 साल की सजा सुनाई गई।

यह भी पढ़ें – गांधीजी के अनमोल वचन

दांडी यात्रा (Salt March)

गांधी जी (Mahatma Gandhi) को जल्द ही ब्रिटिश सरकार ने जेल से रिहा कर दिया और 1924 के बाद गांधी जी ने स्वराज अपनाने की नीति को फिर से जारी किया।

मार्च 1930 में गांधी जी ने ब्रिटिश सरकार के नमक टैक्स के खिलाफ सत्याग्रह आंदोलन चलाया। 

12 मार्च 1930 से लेकर 6 अप्रैल तक गांधी जी व उनके साथ 78 स्वयंसेवकों ने अहमदाबाद से लेकर दांडी तक 388 किलोमीटर की दूरी पैदल चलकर तय की। उनकी इस यात्रा से प्रभावित होकर हजारों लाखों लोग भी उनके साथ इस यात्रा में चल पड़े। 

रस्ते में क्षेत्रीय पुलिस ने प्रदर्शनकारियों व स्वयंसेवकों को रोकने की कोशिश की और 300 से ज्यादा लोगों को पीटा। कुछेक को बहुत ज्यादा घायल कर दिया व दो की मृत्यु हो गई।

दांडी जो कि गुजरात के किनारे समुद्र के पास है, वहां पर खारे पानी को उबाल करके उससे नमक बनाया और ब्रिटिश सरकार के बनाए हुए नमक टैक्स कानून को रद्द किया।

दांडी मार्च का जो मुख्य उद्देश्य था वह सफल हो गया जिसकी वजह से इसे एक सफल अभियान के रूप में गिना गया।

महात्मा गांधी की मृत्यु (Death of Mahatma Gandhi)

महात्मा गांधी जी की मृत्यु 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली (भारत) में हुई थी। उनकी मृत्यु का कारण नाथूराम गोडसे की गोली चलाना था। गोली लगने के बाद गांधीजी ने अंतिम सांस ली।

यह घटना 30 जनवरी 1948 की शाम 5:17 की है। उस समय महात्मा गांधी बिरला हाउस नई दिल्ली के बगीचे में अपने गार्ड्स के साथ प्रार्थना के लिए गए हुए थे। उस दौरान नाथूराम गोडसे नाम के एक हिंदू राष्ट्रवादी ने उनके सीने पर पिस्टल से तीन गोलियां चला कर के हत्या कर दी।

कुछ स्रोतों के मुताबिक, गोली लगने के तुरंत बाद ही गांधी जी की मृत्यु हो गई। परंतु, अन्य स्रोतों के मुताबिक गांधी जी (Mahatma Gandhi) की मृत्यु लगभग 30 मिनट बाद में हुई थी।

गोडसे ने गोली चलाने के बाद किसी भी तरह के भागने की कोशिश नहीं की और उसे अरेस्ट कर लिया गया। 1949 में नाथूराम गोडसे को फांसी दे दी गई।

FAQs

महात्मा गांधी के कितने बच्चे थे?

महात्मा गांधी के चार बच्चे थे। वे सभी पुत्र थे उनके सबसे बड़े बेटे का नाम हरिलाल था। उनके अन्य बेटों के नाम मणिलाल, रामदास तथा शांतिलाल थे।

महात्मा गांधी की बेटी का नाम क्या था?

महात्मा गांधी के केवल चार बेटे थे उनकी कोई बेटी नहीं थी। उनके बेटों के नाम हरिलाल, मणिलाल रामदास तथा शांतिलाल थे।

महात्मा गांधी जी का जन्म कब हुआ था?

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 18 70 को पोरबंदर ब्रिटिश भारत में हुआ था उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था जो पोरबंदर के एक दीवान थे दीवान का कार्य मुख्यमंत्री के बराबर हुआ करता था।

महात्मा गांधी की मृत्यु कब हुई?

महात्मा गांधी की मृत्यु 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली भारत में हुई। 30 जनवरी 1948 की शाम को नाथूराम गोडसे नामक एक हिंदू राष्ट्रवादी व्यक्ति ने अपने पिस्टल से 3 गोलियां चला कर के गांधी जी की हत्या कर दी।

Categories BiographyTags Mahatma Gandhi, Mahatma Gandhi History in Hindi, Mahatma Gandhi महात्मा गांधी., महात्मा गांधी, महात्मा गांधी का इतिहास, महात्मा गांधी का इतिहास व जीवन परिचय (Sep 2021) | Mahatma Gandhi History in Hindi

Mahatma gandhi bio Mahatma Gandhi, byname of Mohandas Karamchand Gandhi, (born Oct. 2, 1869, Porbandar, India—died Jan. 30, 1948, Delhi), Preeminent leader of Indian nationalism and prophet of nonviolence in the 20th century.